हुदूद-ए-कूचा-ए-महबूब हैं वहीं से शुरूअ By Sher << मान लेता हूँ तेरे वादे को हाथों से उस के शीशा-ए-दिल... >> हुदूद-ए-कूचा-ए-महबूब हैं वहीं से शुरूअ जहाँ से पड़ने लगीं पाँव डगमगाते हुए Share on: