हुई थी इक ख़ता सरज़द सो उस को मुद्दतें गुज़रीं By Sher << हुजूम-ए-रंज-ओ-ग़म ने इस क... है ये तक़दीर की ख़ूबी कि ... >> हुई थी इक ख़ता सरज़द सो उस को मुद्दतें गुज़रीं मगर अब तक मिरे दिल से पशेमानी नहीं जाती Share on: