हम भी करते रहें तक़ाज़ा रोज़ By Sher << अगर चमन का कोई दर खुला भी... नासेह नसीहतें ये कहाँ याद... >> हम भी करते रहें तक़ाज़ा रोज़ तुम भी कहते रहो कि आज नहीं Share on: