हम वहशी थे वहशत में भी घर से कभी बाहर न रहे By Sher << जाने क्या कुछ हो छुपा तुम... ध्यान में उस के फ़ना हो क... >> हम वहशी थे वहशत में भी घर से कभी बाहर न रहे जंगल जंगल फिर भी कितना नाम हुआ हम लोगों का Share on: