हुस्न-ए-बरहनगी के उठाते बड़े मज़े By Sher << जब फ़स्ल-ए-गुल आती है सदा... हुब्ब-ए-दुनिया उल्फ़त-ए-ज... >> हुस्न-ए-बरहनगी के उठाते बड़े मज़े होता न रूह को जो लिबास-ए-बदन हिजाब Share on: