हुस्न ओ इश्क़ की लाग में अक्सर छेड़ उधर से होती है By Sher << अदा अदा तिरी मौज-ए-शराब ह... उक़्दा-ए-क़िस्मत नहीं खुल... >> हुस्न ओ इश्क़ की लाग में अक्सर छेड़ उधर से होती है शम्अ की शोअ'ला जब लहराई उड़ के चला परवाना भी Share on: