हुस्न-ए-ज़ाती भी छुपाए से कहीं छुपता है By Sher << ये जो महफ़िल में मिरे नाम... आप को ग़ैर बहुत देखते हैं >> हुस्न-ए-ज़ाती भी छुपाए से कहीं छुपता है सात पर्दों से अयाँ शाहिद-ए-मअ'नी होगा Share on: