इक इंतिज़ार में क़ाएम है इस चराग़ की लौ By Sher << हवा-ए-तुंद कैसी चल पड़ी ह... चाँद में तू नज़र आया था म... >> इक इंतिज़ार में क़ाएम है इस चराग़ की लौ इक एहतिमाम में कमरे का दर खुला हुआ है Share on: