इक तेरा आसरा है फ़क़त ऐ ख़याल-ए-दोस्त By Sher << भला आदमी था प नादान निकला अब कहाँ ऐसी तबीअत वाले >> इक तेरा आसरा है फ़क़त ऐ ख़याल-ए-दोस्त सब बुझ गए चराग़ शब-ए-इंतिज़ार में Share on: