इक वो कि रात दिन रहें महफ़िल में उस की हाए By Sher << सूरज के उफ़ुक़ होते हैं म... माज़ी से उभरीं वो ज़िंदा ... >> इक वो कि रात दिन रहें महफ़िल में उस की हाए इक हम कि तरसें साया-ए-दीवार के लिए Share on: