इल्म का दम भरना छोड़ो भी और अमल को भूल भी जाओ By Sher << 'अतहर' तुम ने इश्... कभी सहर तो कभी शाम ले गया... >> इल्म का दम भरना छोड़ो भी और अमल को भूल भी जाओ आईना-ख़ाने में हो साहिब फ़िक्र करो हैरानी की Share on: