रोना बिना-ए-ख़ाना-ख़राबी है मिस्ल-ए-शम्अ' By Sher << दे मुझ को शिकायत की इजाज़... फिर न दरमाँ का कभी नाम &#... >> रोना बिना-ए-ख़ाना-ख़राबी है मिस्ल-ए-शम्अ' टपके जो सक़्फ़-ए-चश्म हो तो क़स्र-ए-तन ख़राब Share on: