इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी By Sher << इरादे बाँधता हूँ सोचता हू... इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्... >> इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी ये मय है ख़ुद-कशीद इसे मुस्कुरा के पी Share on: