इंसान के दिल को ही कोई साज़ नहीं है By Sher << नहीं आसमाँ तिरी चाल में न... ग़ैरत-ए-अहल-ए-चमन को क्या... >> इंसान के दिल को ही कोई साज़ नहीं है किस पर्दे में वर्ना तिरी आवाज़ नहीं है Share on: