इंसान तो है सूरत-ए-हक़ काबे में क्या है By Sher << मिरा घर जलाने वाले मुझे फ... लोग समझे अपनी सच्चाई की ख... >> इंसान तो है सूरत-ए-हक़ काबे में क्या है ऐ शैख़ भला क्यूँ न करूँ सज्दे बुताँ को Share on: