'इंशा' से शैख़ पूछता है क्या सलाह है By बसंत, Sher << कई झमेलों में उलझी सी बद-... माना कि ज़लज़ला था यहाँ क... >> 'इंशा' से शैख़ पूछता है क्या सलाह है तर्ग़ीब-ए-बादा दी है मुझे ऐ जवाँ बसंत Share on: