'अशहर' बहुत सी पत्तियाँ शाख़ों से छिन गईं By Sher << बड़े सलीक़े से दुनिया ने ... अब तो आ जाओ रस्म-ए-दुनिया... >> 'अशहर' बहुत सी पत्तियाँ शाख़ों से छिन गईं तफ़्सीर क्या करें कि हवा तेज़ अब भी है Share on: