ख़िज़ाँ का दौर भी आता है एक दिन 'कैफ़ी' By Sher << तोहमत सी लिए फिरते हैं सद... मैं जब भी तज्ज़िया करता हू... >> ख़िज़ाँ का दौर भी आता है एक दिन 'कैफ़ी' सदा-बहार कहाँ तक दरख़्त रहते हैं Share on: