इरादा था कि अब के रंग-ए-दुनिया देखना है By Sher << जुदाई की रुतों में सूरतें... हमेशा इक मसाफ़त घूमती रहत... >> इरादा था कि अब के रंग-ए-दुनिया देखना है ख़बर क्या थी कि अपना ही तमाशा देखना है Share on: