इस अँधेरे में चराग़-ए-ख़्वाब की ख़्वाहिश नहीं By Sher << अब ख़ुशी है न कोई दर्द रु... जीना तो अलग बात है मरना भ... >> इस अँधेरे में चराग़-ए-ख़्वाब की ख़्वाहिश नहीं ये भी क्या कम है कि थोड़ी देर सो जाता हूँ मैं Share on: