इस दश्त पे एहसाँ न कर ऐ अब्र-ए-रवाँ और By Sher << इस दश्त-ए-सुख़न में कोई क... ईमाँ भी लाज रख न सका मेरे... >> इस दश्त पे एहसाँ न कर ऐ अब्र-ए-रवाँ और जब आग हो नम-ख़ुर्दा तो उठता है धुआँ और Share on: