इस को मैं इंक़लाब कहता हूँ By Sher << हाए वो वक़्त कि जब बे-पिए... ख़िज़ाँ की ज़द में ही अब ... >> इस को मैं इंक़लाब कहता हूँ ये जो इंकार की फ़ज़ा से उठा Share on: