इश्क़ की तर्ज़-ए-तकल्लुम वही चुप है कि जो थी By Sher << क्या मातम उन उम्मीदों का ... और माशूक़ से मिलने की तमन... >> इश्क़ की तर्ज़-ए-तकल्लुम वही चुप है कि जो थी लब-ए-ख़ुश-गू-ए-हवस महव-ए-बयाँ है कि जो था Share on: