इतने ख़दशे नहीं हैं रस्तों में By Sher << ये सर्दियों का उदास मौसम ... उस सितमगर की हक़ीक़त हम प... >> इतने ख़दशे नहीं हैं रस्तों में जिस क़दर ख़्वाहिश-ए-सफ़र में हैं Share on: