जान देने के सिवा और भी तदबीर करूँ By Sher << किधर डुबो के कहाँ पर उभार... हम ने तो उन्हें जामिआ से ... >> जान देने के सिवा और भी तदबीर करूँ वर्ना ये बात तो हम उस से सदा कहते हैं Share on: