जाने किस दम निकल आए तिरे रुख़्सार की धूप By रुख़्सार, Sher << हज़ार ढूँडिए उस का निशाँ ... है ईद मय-कदे को चलो देखता... >> जाने किस दम निकल आए तिरे रुख़्सार की धूप मुद्दतों ध्यान तिरे साया-ए-दर पर रक्खा Share on: