ज़ात गर पोछिए आदम की तो है एक वही By Sher << ज़ुल्म कब तक कीजिएगा इस द... ये दिल कुछ आफी हो जाता है... >> ज़ात गर पोछिए आदम की तो है एक वही लाख यूँ कहने को ठहराइए ज़ातें दिल में Share on: