जब भी मिले वो ना-गहाँ झूम उठे हैं क़ल्ब ओ जाँ By Sher << दिलों के बाब में क्या दख़... 'अनवर' उस ने न मै... >> जब भी मिले वो ना-गहाँ झूम उठे हैं क़ल्ब ओ जाँ मिलने में लुत्फ़ है अगर मिलना हो काम के बग़ैर Share on: