जब चल पड़े तो बर्क़ की रफ़्तार से चले By Sher << ज़ाहिद तिरा तो दीन सरासर ... मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ ... >> जब चल पड़े तो बर्क़ की रफ़्तार से चले बैठे रहे तो पाँव की ज़ंजीर हो गए Share on: