जब इश्क़ था तो दिल का उजाला था दहर में By Sher << प्यासो रहो न दश्त में बार... कुछ बता तू ही नशेमन का पत... >> जब इश्क़ था तो दिल का उजाला था दहर में कोई चराग़ नूर-बदामाँ नहीं है अब Share on: