जब पुराना लहजा खो देता है अपनी ताज़गी By Sher << 'वक़ार' ऐ काश मेर... दिलों का फ़र्श है वाँ पाँ... >> जब पुराना लहजा खो देता है अपनी ताज़गी इक नई तर्ज़-ए-नवा ईजाद कर लेते हैं हम Share on: