जब से टूटा है तो चुभता है मिरी आँखों में By Sher << ख़ुदा से चंद माँगें हैं ह... इक तजस्सुस हुआ करता है बु... >> जब से टूटा है तो चुभता है मिरी आँखों में ख़्वाब था मेरा किसी काँच के जैसा शायद Share on: