जब उन की पतियाँ बिखरें तो समझे मस्लहत उस की By Sher << मिरे दल ने झटके उठाए हैं ... देख कर काबे को ख़ाली में ... >> जब उन की पतियाँ बिखरें तो समझे मस्लहत उस की ये गुल पहले समझते थे हवा बे-कार चलती है Share on: