जब उस बे-मेहर को ऐ जज़्ब-ए-दिल कुछ जोश आता है By Sher << दौलत-ए-सर हूँ सो हर जीतने... वो अपनी उम्र को पहले पिरो... >> जब उस बे-मेहर को ऐ जज़्ब-ए-दिल कुछ जोश आता है मह-ए-नौ की तरह खोले हुए आग़ोश आता है Share on: