ज़बान-ए-होश से ये कुफ़्र सरज़द हो नहीं सकता By शराब, साक़ी, मय कशी, ख़ुदा, Sher << सुनते रहे हैं आप के औसाफ़... शब-ए-विसाल बहुत कम है आसम... >> ज़बान-ए-होश से ये कुफ़्र सरज़द हो नहीं सकता मैं कैसे बिन पिए ले लूँ ख़ुदा का नाम ऐ साक़ी Share on: