जबीं पर सादगी नीची निगाहें बात में नरमी By Sher << जो और कुछ हो तिरी दीद के ... इक़रार है कि दिल से तुम्ह... >> जबीं पर सादगी नीची निगाहें बात में नरमी मुख़ातिब कौन कर सकता है तुम को लफ़्ज़-ए-क़ातिल से Share on: