जागते जागते इक उम्र कटी हो जैसे By Sher << धूप के बादल बरस कर जा चुक... देखता है कौन 'बाबर... >> जागते जागते इक उम्र कटी हो जैसे जान बाक़ी है मगर साँस रुकी हो जैसे Share on: