जहाँ अपना क़िस्सा सुनाना पड़ा By Sher << टपके जो अश्क वलवले शादाब ... जम्हूरियत भी तुरफ़ा-तमाशा... >> जहाँ अपना क़िस्सा सुनाना पड़ा वहीं हम को रोना रुलाना पड़ा Share on: