जहाँ में हम जिसे भी प्यार के क़ाबिल समझते हैं By Sher << बात निकलेगी तो फिर दूर तल... चराग़ ले के उसे ढूँडने चल... >> जहाँ में हम जिसे भी प्यार के क़ाबिल समझते हैं हक़ीक़त में उसी को ज़ीस्त का हासिल समझते हैं Share on: