जहाँ से कुछ न मिले हुस्न-ए-माज़रत के सिवा By Sher << ग़ालिब और मीरज़ा 'यगा... अपने चेहरे से जो ज़ाहिर ह... >> जहाँ से कुछ न मिले हुस्न-ए-माज़रत के सिवा ये आरज़ू उसी चौखट पे शब गुज़ारती है Share on: