जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं By Sher << ग़लत थे वादे मगर मैं यक़ी... दुख से दो-चार साल छोटा हू... >> जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं ख़याबाँ ख़याबाँ इरम देखते हैं Share on: