ज़ेहन इस ख़ौफ़ से होने लगे बंजर कि यहाँ By Sher << जहाँ न अपने अज़ीज़ों की द... ऐ आफ़्ताब हादी-ए-कू-ए-निग... >> ज़ेहन इस ख़ौफ़ से होने लगे बंजर कि यहाँ अच्छी तख़्लीक़ पर कट जाते हैं मेमार के हाथ Share on: