ज़हर पी कर भी यहाँ किस को मिली ग़म से नजात By Sher << किसी रईस की महफ़िल का ज़ि... कान में है तेरे मोती आब-द... >> ज़हर पी कर भी यहाँ किस को मिली ग़म से नजात ख़त्म होता है कहीं सिलसिला-ए-रक़्स-ए-हयात Share on: