ज़ाहिद हरम में बैठ के ख़ाली मैं क्या करूँ By Sher << आह ये बरसात का मौसम ये ज़... ज़बाँ से बात निकली और परा... >> ज़ाहिद हरम में बैठ के ख़ाली मैं क्या करूँ कोसों यहाँ शराब कहीं बूँद-भर नहीं Share on: