ज़ाहिद सुनाऊँ वस्फ़ जो अपनी शराब के By Sher << एक एक क़तरे का मुझे देना ... उस गली में हज़ार ग़म टूटा >> ज़ाहिद सुनाऊँ वस्फ़ जो अपनी शराब के पढ़ने लगें दरूद फ़रिश्ते सवाब के Share on: