ज़ाहिद तो बख़्शे जाएँ गुनहगार मुँह तकें By Sher << मैं और बज़्म-ए-मय से यूँ ... मोहब्बत एक तरफ़ से मज़ा न... >> ज़ाहिद तो बख़्शे जाएँ गुनहगार मुँह तकें ऐ रहमत-ए-ख़ुदा तुझे ऐसा न चाहिए Share on: