दिल है गर प्यार से सरशार तो मुमकिन है 'हबीब' By Sher << दिल टूट के ही आख़िर बनता ... छोड़ आते हैं हर जानिब कुछ... >> दिल है गर प्यार से सरशार तो मुमकिन है 'हबीब' तू जिधर जाए वो राह-ए-दर-ए-जानाना बने Share on: