इस तरह बे-कैफ़ गुज़रा ऐ 'हबीब' अपना शबाब By Sher << जब थके हाथों से पतवार भी ... इस सीना-ए-वीराँ में खिलाए... >> इस तरह बे-कैफ़ गुज़रा ऐ 'हबीब' अपना शबाब जिस तरह से सूने घर में जलता है कोई चराग़ Share on: