ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी!! आ दो घड़ी मिल कर रहें By Sher << ज़बाँ पे शुक्र ओ शिकायत क... रस्ते का इंतिख़ाब ज़रूरी ... >> ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी!! आ दो घड़ी मिल कर रहें तुझ से मेरा उम्र-भर का तो कोई झगड़ा न था Share on: