ज़िंदगी महव-ए-ख़ुद-आराई थी By Sher << वो उस नज़र का तसादुम वो ह... मुस्कुरा कर डाल दी रुख़ प... >> ज़िंदगी महव-ए-ख़ुद-आराई थी आँख उठा कर भी न देखा हम ने Share on: